प्री वेडींग शूट - समाज में एक नया दूषण

प्री वेडींग शूट - समाज में एक नया दूषण

Jan 28, 2023

प्री वेडींग शूट -यानी भारतीय संस्कृति के घरेलु परिवारो में पश्चिमी संस्कृति का आगमन-

पिछले कुछ वर्षो से देश में भारतीय संस्कृति से होने वाले विवाह समारोह में एक नया प्रचलन सामने आया है। जिसको ऐसे परिवारो द्वारा आयोजित किया जा रहा है जो समाज की रीढ़ कहे जाते है, जिनकी समाज में तूती बोलती है या जो समाज के संचालक होते है।

इसके तहत होने वाले दूल्हा- दुल्हन अपने परिवारजनो की सहमति से शादी से पूर्व फ़ोटो ग्राफर के एक समूह के साथ देश के अलग-अलग सैर सपाटो की जगह, बड़े होटलो, हेरिटेज बिल्डिंगो, समुन्द्री बीच व अन्य ऐसी जगहों पर जहाँ सामान्यतः पति पत्नी शादी के बाद हनीमून मनाने जाते है और वहाँ पर कम से कम परिधानों में एक दूसरे की बाहो में समाते हुए विडियो शूट करवाते है। और फिर ऐसी विडियोग्राफी को शादी के दिन एक बड़ी सी स्क्रीन पर लड़की और लड़के के परिवार से जुड़े तमाम रिश्तेदारों की उपस्थिति में सार्वजानिक रूप से उस लड़के और लड़की को वो सब करते हुए दिखाया जाता है जिनकी अभी शादी भी नहीं हुई है। जिनको जीवन साथी बनने के साक्षी बनाने और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए ही सगे संबंधियो और सामाजिक लोगो को वहा बुलाया जाता है। लेकिन वहाँ पर जो विडियोग्राफी देखने को मिलटी है वह शर्मसार करने वाली होती है । जिस भावी कपल को हम वहाँ आशीर्वाद देने पहुँचते है, वो पहले से ही एक दूसरे की बाहो में झूल रहे होते है । और सबसे बड़ी बात यह है की यह सब दोनों परिवारो की सहमति से होता है।

लड़का- लड़की कई दिनों तक बाहर रहकर साथ में कई राते बिता चुके होते है। यह सब देखकर एक विचार मन में आता है कि जब सब कुछ हो चुका है तो आखिर हमें यहाँ क्यों बुलाया गया है।

यह शुरूआत अभी उन घरानो से हो रही है जो समाज के नेतृत्वकर्ता और समाज को राह दिखाने वाले बड़े बड़े समाजसेवी पैसे वाले है जो समाज सुधार की दिशा में कार्यक्रम करते रहते है। ऐसे बड़े परिवार ऐसी शादियों को जो अपने पैसो के बल पर इस प्रकार की गलत प्रवर्तियो को बढ़ावा देकर समाज के मध्यम वर्गीय के परिवारो को संकट में डाल रहे है।

समाज के उन सभी सभ्रांतजनो से अनुरोध है- अपने- अपने समाज में ऐसी पश्चिमी संस्कृति को बढ़ावा देने वाले परिवारो से ऐसी प्रवृति को बंद करने का अनुरोध करे और ऐसी शादियों का सामाजिक बहिष्कार करे तभी ऐसी प्रवृतियों पर रोक लगना संभव हो सकेगा । अन्यथा ऐसी संस्कृति से आगे चलकर समाज का इतना बड़ा नुकसान होगा जिसकी भरपाई कई पीढ़ियों तक करना संभव नहीं हो सकेगा और शादी जैसे पवित्र बंधन पर एक बदनुमा दाग लगेगा, जिसका खामियाजा समाज को भुगतना पड़ेगा । और जिसकी परिणीति में शादी से पूर्व सम्बन्ध टूटना या शादी के बाद तलाक की संख्या में वृद्धि के रूप में होगी।

जरा सोचे एवं विचार करे की हम क्या कर रहे है।